Thursday, February 3, 2011

नन्हा फरिश्ता

मेरे आँगन में खेले एक नन्हा फरिश्ता
कहने लगा हम दोनों
का है जन्मो का नाता

सोच में डूबा, हैरान पड़ेशान
कैसा है यह राज़!
गहरा रिश्ता अचानक कहाँ से
उभर आया आज?

अपने तो हैं अनमोल, रिश्तो को न तोल
मन की आँखें खोल, हमको समझाया
बाहर से दुनिया गोल, साफ़ नज़र आया

चन लाब्सो में कह डाला प्यार की परिभाषा
महिमा के गुण गाके, दिल में जागी आशा

दिव्य शक्ति में करू खुदको समर्पण
बरसों की भक्ति करू तुझको अर्पण

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