Tuesday, August 11, 2020

मिले मेरे नन्द लाला , कान्हा कन्हईया

 मिले मेरे नन्द लाला , कान्हा कन्हईया 

 

सीने में जलन  था,  जाने क्या गम था, 

आँखे भी  नम  था,  कुछ तो कम था | 

जन्माष्टमी का दिन था, पूजा का मन था 

तैयारी बाकी थी, अभी पूरा दिन था 

ख्यालो में बिखरा था भूले बिसरे यादें 

कुछ खोये हुए पन्ने और गुमशुदा वादे 

फिर भी आस थी, अपनी  विश्वास थी 

प्रभु की कृपा मेरे साथ थी 

हुआ ऐसा ही एक अलौकिक बात 

जब मुझे मिला कोई अनजान एक सक्स 

 थोड़े दिन की पहचान, पर  सबसे अलग 

मुझसे जताया ऐसे मानो सदियों की हो पहचान,

मन  तो नहीं  माना  पर -

मन की बात को भला उसने कैसे लिया जान 

कुछ तो बात हैं, इसमें इतनी  सच्चाई हैं 

कुदरत की करिश्मा या सृष्टि की देन 

मुझे  मिल गया मानो नन्द लाला कृष्ण जी स्वयं

बड़े शिद्दत से मिलते हैं रब, खुदा की मेहरबानी हैं 

पाक नज़र से देखो गर हर  तरफ  अल्लाह की रेहमत  हैं


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