दुनिया का मानना है
चाह एक नशा है
जीने की वज़ह है
दौलत का, रुथबे का
अपनों का खुशियों का
पा लेने का मज़ा है
फिर भी एक मुकाम है
जहां इन्सान हैरान है
पड़ेशान है
जीने की सही वज़ह से
क्या हम अनजान है
मंजिल नहीं, सफ़र है ज़िन्दगी
जी भर के जी लेना ही ज़िन्दगी
क्या खोया, क्या पाया - खबर नहीं
खुद में दुनिया बसाना - चाह नहीं
चाह को मिटा के दुनिया अपनाना
जीवन के मकसद को अंजाम देना
जिसने ईश्वर की चाह को सर्वोत्तम माना
उसीने धरती पे जीने की सही वज़ह जाना
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