Universal space
Wednesday, February 9, 2011
सपना
सपनो में आई तुम सपना
सपना सा लागे यह घड़ी
हमको बनाके
तुम अपना
आँखें चुराके छूप गयी
कैसे क्या
करू तुमको
अर्पण
जन्नत की बन
गए
हो पड़ी
फूलों की खुशबू की तरह
यादें तुम्हारी बस रह गयी
तुम रहोगे हमारे दिलो में
हमेशा हमेशा हर घड़ी
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