Universal space
Friday, February 11, 2011
जीवन का प्रतिबिम्ब
आज सारे सीमायों को लांघ कर
मन दौड़ चला
अनजाने से डगर पर
हर बंधन तोड़ चला
जीवन की शिखर पर
मृत्यु खोजने चला
यह तो प्रतिबिम्ब है
जीवन की विपरीत दिशा
शून्य से अगणित की और चला
जीवन के मौजों में
गहराई में उतर कर
उंचाईयों को छूता चला
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