बाघ शिकार
- "अच्छा गदाधर बाबू आपको ही नथ्थू लाल जी ने बाघ शिकार के लिए हुम्हारे गाँव में भेजा हैं ?"
गजोधर बाबू: आह! खत में इतनी देर से क्या पढ़ रहे थे आप। पूरी रामायण पढ़ने के बाद पूँछते हैं की सीता किसका बाप था। मेरा ही नाम पद्म लोचन गजोधर हैं।
Narrator : यह बताईये गदाधर बाबू...
गजोधर बाबू: ज़रा तहज़ीब से मेरा नाम लीजिये महाशय! मेरा नाम गदाधर नहीं बल्कि गजोधर हैं।
Dolly : ही ही ही..... ( हँसने की आवाज़ )
गजोधर बाबू: आपके साथ यह मोहतरमा कौन हैं?
Narrator : ओह! यह मेरी भतीजी हैं। Dolly . अभी अभी BA पास किया हैं। शिकार करने का शौख़ रखती हैं।
गजोधर बाबू: बहुत अच्छा ! शिकार करना तो बहुत बहादुरी का काम हैं!
Dolly : ही ही ही..... आप तो बड़े दिलचस्प लग रहे हो! अच्छा बताईये मेरे बारे में आपका क्या राय हैं ?
गजोधर बाबू: म्म्म्म .... क्या बतायूँ ? आप --- आप न जैसे जैसे किलाल किला हो !
Dolly : हैं? क्या मज़ाक हैं !
गजोधर बाबू: नहीं नहीं... आप लाल किला नहीं, आप ताजमहल हो !!!
Dolly : क्या कह रहे हैं? आपको और कुछ नहीं मिला ???
गजोधर बाबू: मेरा मतलब हैं, की आप तुलनहीन हो! बिलकुल करंट की तरह.... अ आ.. माने मॉडर्न किस्म की शक्शियत हैं आपकी !!!!
Dolly : (कुछ शर्मा के) हाँ वह तो मैं हूँ ही। आपको कैसे पता?
गजोधर बाबू: यही के... आपका पहनावा, साज सज्जा देखके पता चल जाता हैं की कुछ तो बात हैं ! कुछ अलग ही आप!
Dolly : अलग मतलब?
गजोधर बाबू: मतलब...अब कैसे समझायु आपको। सब कुछ तो छोड़ रखा है आपने !
Dolly : सब कुछ छोड़ रखा है मतलब? कहना क्या चाहते हैं आप ?
गजोधर बाबू: अरे नाराज़ मत होईये Dolly जी ! आज के मॉडर्न ज़माने में सब कुछ छूट गया.. कान के झुमके, माथे की झूमड़, हाथ की चूड़ियाँ, और कपड़ो की तो बात ही छोड़ दीजिये, न बतायूँ तो ही अच्छा हैं !
चलिए जाने दीजिये।
यह बताईयें (Narrator को) साड़ी तैयारियाँ हो गयी हैं न? शेर के बारे में कुछ बताइएं। पूँछ कितनी बड़ी हैं?
Narrator : मूछ? किसकी मूछ?
गजोधर बाबू: मेरी, आपकी.... जनाब, शेर की बात हो रही हैं तो मूछ कहा से आ टपकी? अरे बाबा, मूछ नहीं पूँछ!!! यह बताईये कितनी लम्बी हैं ?
Dolly : गजोधर जी मुझे तो शक हो रहा है, आप सच में बाघ शिकार पे निकले हैं?
गजोधर बाबू: सही फरमाया आपने। मैं तो वाक़ेई में यहाँ हवा खाने आया हूँ... !!!! यही सुनना चाह्ती थी न आप?
Dolly : ओफ़्फ़ो !!! आप तो बुरा मान गए!
गजोधर बाबू: सुन्दरवन में एक ही गोली से दो बाघ किसने शिकार किया था मालूम हैं?
Dolly : ही ही..... किसने?
गजोधर बाबू: और किसने? मैं ही वह बहादुर शिकारी हूँ।
Dolly : अच्छा !!! फिर तो बात पक्की! आपके साथ कल शिकार पे बेफिक्र होक जाया जा सकता हैं!
गजोधर बाबू: यह देखिये... इसी को कहते हैं - "जंगल में मंगल!"
Dolly : यह जंगल जितना बड़ा हैं उतना घना भी हैं। और इसी खूबसूरत वन में बाघ छुपा हैं।
गजोधर बाबू: बाघ क्या सिर्फ जंगल में रहते हैं। इंसान के मन में भी रहते हैं।
Dolly : अरे वाह! मचान तो बहुत मजबूत बनाया हैं! चलिए चलिए जल्दी से मचान पे चढ़ जाते हैं!
गजोधर बाबू: हांजी !!! आइये पहले आप, Ladies first !
Dolly : गजोधरजी, देखना ज़रा , पकड़े रहना, कही गिर न जाऊँ में!
गजोधर बाबू: उसी आशा में ही तो बैठा हुआ हूँ। इंसान की क्या सारी आशाएं पूरी होती हैं?
Dolly : वाह रे ! गिर गयी तो दर्द नहीं होगा मुझे ?
गजोधर बाबू: वही तो बात हैं डॉली जी। आप नहीं समझेंगे की सब चोट में दर्द नहीं होता, और कुछ तो दर्द ख़ास होते हैं ! काश भगवान ने मेरी सुन ली होती!!!
Dolly : अब भगवान का क्या दोष हैं ? हूँ!!! भगवान को और कोई काम नहीं हैं क्या?
गजोधर बाबू: वह ऊपर तो बहुत मज़ेदार हैं - ताज़ी ताज़ी हवाएँ ! क्या नज़ारे !!! इसी को बोलते हैं प्राकृतिक सौंदर्य!!!!
Dolly : अजीब मुसीबत हैं! जनाब कुछ और ही दुनिया में खोये हुए हैं!!! ..... अरे गजोधर बाबू। ..आपका बन्दुक कहाँ हैं????
गजोधर बाबू: गज़ब हो गया! यही तो था! लगता हैं में नीचे ही छोड़ आया... डॉली जी ज़रा सम्हालिए, मैं अभी आया।
Dolly : (गुनगुना रही हैं) ललललल.....
गजोधर बाबू: Dolly जी, डरना नहीं, मैं अभी आ रहा हूँ...
(हाँफते हुए) आप घबराई तो नहीं न?
Dolly : डरना कैसा? मैं भी तो एक शिकारी हूँ।
गजोधर बाबू: अरे हाँ ! मैं तो भूल ही गया था, की आप तो बहादुर हैं! इसमें कितनी आनंद की बात हैं!
Dolly : आनंद? कौन सी आनंद ?
गजोधर बाबू: यही की आप भी शिकारी , मैं भी शिकारी !!!! अच्छा आपको ऐसा नहीं लगता कि - खुले आसमान में पंख लगाके बदलो के साथ हवा में अठखेलियाँ लेते हुए...
Dolly : ही ही ही..... गजोधर बाबू: वाह वाह वाह वाह !!!! आपके हँसी के क्या कहने!!!!
Dolly : छोड़िये छोड़िये !!!! शिकार पे ध्यान दीजिये ----
(शेर की दहाड़ने की आवाज़)
Dolly : अरे देखिये देखिये---- बाघ इधर ही आ रहा हैं!
गजोधर बाबू: मर गए.... किधर जाऊँ ?
Dolly : क्या कर रहे है? बाघ पे निशाना मारिये!
गजोधर बाबू: हाँ हाँ, म्म्म्म....मम. मेरा बन्दुक किधर हैं?????
(गोली की आवाज़)
Dolly : हम्म्म्म.... तो यह थी आपकी बहादुरी, शर्म आनी चाहिए आपको! बड़े आये बाघ शिकार करने! बन्दुक तो उठाया नहीं गया आपसे, और फिर मुझे ही fire करनी परी ! खैर!!! अब तो पर्दा फाश हो गया। गलती से भी कभी अब अपनी चेहरा मत दिखाना!
Narrator : बेचारे गजोधर बाबू के तो तोते उड़ गए! उनकी क्या किस्मत निकली,.... बाघ शिकार तो क्या, अब तो वह कोई भी शिकार पे नहीं निकलते... समझ गए न आप लोग!!!!!
Scene I
Narrator : गाँव का नाम - खिदिरपुर। कुछ आदमखोड़ शेरो ने गाँव भर में आतंक मचा रखा हैं। उन्हीं को बस में करने के लिए गजोधर बाबू को बुलाया गया हैं। यह बहुत ही विनम्र, सदाचारी और खुशमिज़ाज किस्म के व्यक्ति हैं। इनके बारे में जितना कहा जाए कम हैं। चलिए आप लोग खुद ही मिल लीजिये।- "अच्छा गदाधर बाबू आपको ही नथ्थू लाल जी ने बाघ शिकार के लिए हुम्हारे गाँव में भेजा हैं ?"
गजोधर बाबू: आह! खत में इतनी देर से क्या पढ़ रहे थे आप। पूरी रामायण पढ़ने के बाद पूँछते हैं की सीता किसका बाप था। मेरा ही नाम पद्म लोचन गजोधर हैं।
Narrator : यह बताईये गदाधर बाबू...
गजोधर बाबू: ज़रा तहज़ीब से मेरा नाम लीजिये महाशय! मेरा नाम गदाधर नहीं बल्कि गजोधर हैं।
Dolly : ही ही ही..... ( हँसने की आवाज़ )
गजोधर बाबू: आपके साथ यह मोहतरमा कौन हैं?
Narrator : ओह! यह मेरी भतीजी हैं। Dolly . अभी अभी BA पास किया हैं। शिकार करने का शौख़ रखती हैं।
गजोधर बाबू: बहुत अच्छा ! शिकार करना तो बहुत बहादुरी का काम हैं!
Dolly : ही ही ही..... आप तो बड़े दिलचस्प लग रहे हो! अच्छा बताईये मेरे बारे में आपका क्या राय हैं ?
गजोधर बाबू: म्म्म्म .... क्या बतायूँ ? आप --- आप न जैसे जैसे किलाल किला हो !
Dolly : हैं? क्या मज़ाक हैं !
गजोधर बाबू: नहीं नहीं... आप लाल किला नहीं, आप ताजमहल हो !!!
Dolly : क्या कह रहे हैं? आपको और कुछ नहीं मिला ???
गजोधर बाबू: मेरा मतलब हैं, की आप तुलनहीन हो! बिलकुल करंट की तरह.... अ आ.. माने मॉडर्न किस्म की शक्शियत हैं आपकी !!!!
Dolly : (कुछ शर्मा के) हाँ वह तो मैं हूँ ही। आपको कैसे पता?
गजोधर बाबू: यही के... आपका पहनावा, साज सज्जा देखके पता चल जाता हैं की कुछ तो बात हैं ! कुछ अलग ही आप!
Dolly : अलग मतलब?
गजोधर बाबू: मतलब...अब कैसे समझायु आपको। सब कुछ तो छोड़ रखा है आपने !
Dolly : सब कुछ छोड़ रखा है मतलब? कहना क्या चाहते हैं आप ?
गजोधर बाबू: अरे नाराज़ मत होईये Dolly जी ! आज के मॉडर्न ज़माने में सब कुछ छूट गया.. कान के झुमके, माथे की झूमड़, हाथ की चूड़ियाँ, और कपड़ो की तो बात ही छोड़ दीजिये, न बतायूँ तो ही अच्छा हैं !
चलिए जाने दीजिये।
यह बताईयें (Narrator को) साड़ी तैयारियाँ हो गयी हैं न? शेर के बारे में कुछ बताइएं। पूँछ कितनी बड़ी हैं?
Narrator : मूछ? किसकी मूछ?
गजोधर बाबू: मेरी, आपकी.... जनाब, शेर की बात हो रही हैं तो मूछ कहा से आ टपकी? अरे बाबा, मूछ नहीं पूँछ!!! यह बताईये कितनी लम्बी हैं ?
Dolly : गजोधर जी मुझे तो शक हो रहा है, आप सच में बाघ शिकार पे निकले हैं?
गजोधर बाबू: सही फरमाया आपने। मैं तो वाक़ेई में यहाँ हवा खाने आया हूँ... !!!! यही सुनना चाह्ती थी न आप?
Dolly : ओफ़्फ़ो !!! आप तो बुरा मान गए!
गजोधर बाबू: सुन्दरवन में एक ही गोली से दो बाघ किसने शिकार किया था मालूम हैं?
Dolly : ही ही..... किसने?
गजोधर बाबू: और किसने? मैं ही वह बहादुर शिकारी हूँ।
Dolly : अच्छा !!! फिर तो बात पक्की! आपके साथ कल शिकार पे बेफिक्र होक जाया जा सकता हैं!
Scene II
गजोधर बाबू: यह देखिये... इसी को कहते हैं - "जंगल में मंगल!"
Dolly : यह जंगल जितना बड़ा हैं उतना घना भी हैं। और इसी खूबसूरत वन में बाघ छुपा हैं।
गजोधर बाबू: बाघ क्या सिर्फ जंगल में रहते हैं। इंसान के मन में भी रहते हैं।
Dolly : अरे वाह! मचान तो बहुत मजबूत बनाया हैं! चलिए चलिए जल्दी से मचान पे चढ़ जाते हैं!
गजोधर बाबू: हांजी !!! आइये पहले आप, Ladies first !
Dolly : गजोधरजी, देखना ज़रा , पकड़े रहना, कही गिर न जाऊँ में!
गजोधर बाबू: उसी आशा में ही तो बैठा हुआ हूँ। इंसान की क्या सारी आशाएं पूरी होती हैं?
Dolly : वाह रे ! गिर गयी तो दर्द नहीं होगा मुझे ?
गजोधर बाबू: वही तो बात हैं डॉली जी। आप नहीं समझेंगे की सब चोट में दर्द नहीं होता, और कुछ तो दर्द ख़ास होते हैं ! काश भगवान ने मेरी सुन ली होती!!!
Dolly : अब भगवान का क्या दोष हैं ? हूँ!!! भगवान को और कोई काम नहीं हैं क्या?
गजोधर बाबू: वह ऊपर तो बहुत मज़ेदार हैं - ताज़ी ताज़ी हवाएँ ! क्या नज़ारे !!! इसी को बोलते हैं प्राकृतिक सौंदर्य!!!!
Dolly : अजीब मुसीबत हैं! जनाब कुछ और ही दुनिया में खोये हुए हैं!!! ..... अरे गजोधर बाबू। ..आपका बन्दुक कहाँ हैं????
गजोधर बाबू: गज़ब हो गया! यही तो था! लगता हैं में नीचे ही छोड़ आया... डॉली जी ज़रा सम्हालिए, मैं अभी आया।
Dolly : (गुनगुना रही हैं) ललललल.....
गजोधर बाबू: Dolly जी, डरना नहीं, मैं अभी आ रहा हूँ...
(हाँफते हुए) आप घबराई तो नहीं न?
Dolly : डरना कैसा? मैं भी तो एक शिकारी हूँ।
गजोधर बाबू: अरे हाँ ! मैं तो भूल ही गया था, की आप तो बहादुर हैं! इसमें कितनी आनंद की बात हैं!
Dolly : आनंद? कौन सी आनंद ?
गजोधर बाबू: यही की आप भी शिकारी , मैं भी शिकारी !!!! अच्छा आपको ऐसा नहीं लगता कि - खुले आसमान में पंख लगाके बदलो के साथ हवा में अठखेलियाँ लेते हुए...
Dolly : ही ही ही..... गजोधर बाबू: वाह वाह वाह वाह !!!! आपके हँसी के क्या कहने!!!!
Dolly : छोड़िये छोड़िये !!!! शिकार पे ध्यान दीजिये ----
(शेर की दहाड़ने की आवाज़)
Dolly : अरे देखिये देखिये---- बाघ इधर ही आ रहा हैं!
गजोधर बाबू: मर गए.... किधर जाऊँ ?
Dolly : क्या कर रहे है? बाघ पे निशाना मारिये!
गजोधर बाबू: हाँ हाँ, म्म्म्म....मम. मेरा बन्दुक किधर हैं?????
(गोली की आवाज़)
Dolly : हम्म्म्म.... तो यह थी आपकी बहादुरी, शर्म आनी चाहिए आपको! बड़े आये बाघ शिकार करने! बन्दुक तो उठाया नहीं गया आपसे, और फिर मुझे ही fire करनी परी ! खैर!!! अब तो पर्दा फाश हो गया। गलती से भी कभी अब अपनी चेहरा मत दिखाना!
Narrator : बेचारे गजोधर बाबू के तो तोते उड़ गए! उनकी क्या किस्मत निकली,.... बाघ शिकार तो क्या, अब तो वह कोई भी शिकार पे नहीं निकलते... समझ गए न आप लोग!!!!!
No comments:
Post a Comment