जिन्दा तो है, पर क्या ज़िन्दगी जी रहे है ?
ज़िन्दगी के आरज़ू मे यु़ंहि जी रहे है।
यह जिंदादिली तो है, जो एक आंस बनाए रखती हैं।
वरना सदीयो से तो - युही गुज़र रहे थे।
ज़िन्दगी के दौर में किसको फुर्सत कहां
कि तनिक ठहर के पूझे, खुद को जाना कहां।
किस मकान पे पहुंचे - यह खबर नहीं;
राह दिखें हज़ारों ,मंजिल का पता नहीं।
ज़िन्दगी के रंजोगम में, खुदको तु न मिटा।
कर बुलन्द अपने जीगर को, ज़िन्दगी तु यूं निभा।
खिले तो चमन में, ख़ुशीयो की बहार आ जाए।
कुछ इस तरह से जीएं, धरती पे ज़न्नथ पाएं।
अपने लिए तो सब जीते है, इसमें क्या बात है?
दुसरो के लिए जी पाओ तो, वहीं जिवन का सार हैं!
ज़िन्दगी के आरज़ू मे यु़ंहि जी रहे है।
यह जिंदादिली तो है, जो एक आंस बनाए रखती हैं।
वरना सदीयो से तो - युही गुज़र रहे थे।
ज़िन्दगी के दौर में किसको फुर्सत कहां
कि तनिक ठहर के पूझे, खुद को जाना कहां।
किस मकान पे पहुंचे - यह खबर नहीं;
राह दिखें हज़ारों ,मंजिल का पता नहीं।
ज़िन्दगी के रंजोगम में, खुदको तु न मिटा।
कर बुलन्द अपने जीगर को, ज़िन्दगी तु यूं निभा।
खिले तो चमन में, ख़ुशीयो की बहार आ जाए।
कुछ इस तरह से जीएं, धरती पे ज़न्नथ पाएं।
अपने लिए तो सब जीते है, इसमें क्या बात है?
दुसरो के लिए जी पाओ तो, वहीं जिवन का सार हैं!
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