Wednesday, September 8, 2021

मानव अवतार

मनुष्य जन्म मात्र अपने अधिकारों के लिए सचेत है 

बुनियादी तौर से मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है 

जो अपनी सुरक्षा के साथ साथ दुसरे जीवो के लिए भी सोच सकता है 

कुदरत ने हमें बाकी प्राणियों से श्रेष्ठ बनाया है  इस मामले में 

बुद्धि की तीक्ष्मता से हम क्या नहीं कर सकते 

ईश्वर ने हम्हारे बाज़ुओं में इतना बल और कला दिया

 कि  हम नए कारनामे कर सके, नयी बुलंदिया छू सके

मानव जाती ने इस धरती पर आते ही नयी नयी खोज की और 

अपने जीवन को और सुगम बनाने की व्यवस्था में जुट गए 

 नतीजा- आज ऐसी स्थिति हैं की इंसान ने अपने सोच से बढ़कर तरक्क़ी की 

जो पहले किसी ने सोचा नहीं था कि  हम यहाँ तक पहुँच सकते हैं, ऐसी क़यामत ला सकते हैं 

यक़ीनन ये मानव जाती के लिए गर्व की बात हैं की हमने सदियों से केवल नयी ऊँचाईयाँ  छूनी  चाही 

बेहतर से बेहतर ख्वाब बुने जो आज मेहनत और विज्ञान से कामियाबी की शिखर छू रही हैं

 

इतनी प्रगति के बाद भी क्या अभी भी मनुष्य संतुष्ट नहीं हैं ?

क्या वाकई में हम लोग सही मायने में अग्रसर है?

कहीं ऐसा तो नहीं की हमने अपनी पाने की चाह में -जाएज़ सीमा को लाँघ दिया हैं 

तभी तो एक मायने में अब जो खोज हो रही है वो विज्ञान की तो जीत है पर 

सारे जीव जंतु पशु पक्षी पेड़ पौधे पे भारी  पर  रहा है - यहाँ तक की खुद जनजातीयों  पे भी 

 भूमण्डल के वातावरण पे बुरा असर तो  पर ही  रहा हैं बल्कि 

खनिज पदार्थो के शोषण इस हाल तक हो चूका है की माटी अभी रिहहि की दुहाई मांग रही हैं 

नदियां, झरने, यहाँ तक की समुद्र भी दिशा बदल रही हैं , लुप्त हो रही है 

बर्फीले चोटियां तीव्र गति से पिघल रही हैं 

तो वास्तविक में तो यह अनर्थ ही है, इसे विकास कैसे कह  सकते है भला !

स्वभाविक हैं की प्रकृति भी अपनी  प्रकोप दिखा रही हैं 

बाढ़, भूचाल, सूखा, तूफ़ान साइक्लोन आदि से धरती पे प्रहार हो रहा हैं। 


ये कोई अंधाधुन सज़ा नहीं है जो मनुष्य को अपने स्वार्थी कर्मो के लिए मिल रहा है 

बल्कि ये यथार्थ न्याह है प्रकृति की इस बोध को जगाने के लिए की मनुष्य प्रकृति से बड़ा नहीं हो सकता 

उसकी क्षमता केवल  सीमित है, और उसकी सही उपयोग करने से ही इस घोर अन्याय से उपाय हैं। 


आज कई महानुभावी जनो  ने इस कार्य को संभाला और इस संरक्षण योजना को प्राधान्य दिलाया 

जितने जटिल ये घाटा हो चूका था, उतना ही संवेदन शील तरीके से 

इस दुर्दशा को एक नयी दिशा में रुक बदला गया। 

ऐसे महान कार्यकर्ता को सलाम जिन्होंने अपनी जागरूकता से  दुनिया में यह संदेशा फैलाया 

शांति की, न्याय की, एकता की , ज़िम्मेदारी की

 भगवान ने सबको समान बनाया हैं। 

हम सब प्राणी एक स्तर पर जीते है,

कोई किसीका छीन नहीं सकता-

उसकी विधान में ऐसी व्यवस्था है की सबको न्याय मिलेगी। 

अतः हम सब अपनी खुदगर्ज़ी से ज्यादा अपनी ज़िम्मेदारियों को समझे 

और नैतिकता से निभाएँ , तभी मानव जाती को उत्तम जाती होने का श्रेय मिलेगा।

 


 

 

 


 

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