Sunday, January 30, 2011

जनजागरण यमुना तुम्हारी

जागो आयो उठो बढ़ो
करलो यह स्वीकार
वक़्त है कुछ करने का
यमुना का उद्धार

कसम तुम्हे है यमुना का
फिर से निर्मल बनाए

सदियों से बहती यमुना
हर प्राणी की जान
प्रकृति से वरदान मिला है
करो सही सम्मान

कसम तुम्हे है यमुना को
फिर से निर्मल बनाये

कल तक थी जो खुशहाली में
खो न दे उसका निशाँ
जागो साथी उठो बचा लो
यह है हुम्हारी शान

आयो मिलकर करे यह प्राण
करके अपना सब कुछ अर्पण
या देकर अपना अपनत्व
बचाए यमुना का अस्तित्व

कसम तुम्हे है यमुना को
फिर से निर्मल बनाये

जिसकी अमृत धारा में
लाखों पुण्य कमाँए
उसके पावन जल में
कैसे दूषण फैलाएं

कसम तुम्हे है यमुना का
फिर से निर्मल बनाये

रक्षा करो, उपेक्षा नहीं
जो है जीवन दायिनी
मुक्त करो विशुद्ध नहीं
यह है धरोहर हम्हारी

कसम तुम्हे है यमुना का
फिर से निर्मल बनाये

No comments:

Post a Comment