Friday, February 11, 2011

पुकार

जीवन के हसीन राहें
फैलाके बाहें
कल्पना के साए में
हर पल चाहे

मधुर धुनों से बने
मदभरी गाने
फुरसत से कटी
रंगीन शामें

गुज़रे जो तेरे दर से - यह बता दे
आज हम भी कह डाले अनकही बातें

छोड़ आये थे जो पल कही रुके
घर लौट चले बिना झुके

ख़ुशी का आलम है, दुया कीजीये
विजय के शिखर पे शान से खड़े हो पाए
दूर नहीं मंजिल करीब हैं
जीवन हमारी भी सफल हो जाए

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