Tuesday, January 29, 2013

प्रतिष्ठाजी



प्रतिष्ठित हो आप 
अपनी निष्ठा से 
योग  साधना  में,
 नृत्यांगना में

कला का महीमा पाई  हो 
ऐसे गुण सहजता से अपनायी हो

निपुणता हर कला में लाई हो 
हर दिशा में श्रेष्ठतम आई हो 
चाहे योग हो, या नृत्य हो 
हर क्षेत्र में सफलता लहराई हो 

आचार्य की पदवी पाई हो 
 युवको के  योग गुरु बनके दीखलाई हो 

मनमोहक भावो के लालिमा लिए 
अतुलनीय छवि दर्शाती हुए 
माधुर्य से निर्मल पावनता में 
सुन्दरता की मूरत पाई  हो 

प्रेरणा हो, अनुराग हो 
नारी की बुलंद आवाज़ हो 
आज की युवा का सरताज़  हो 
लाखो के पथ प्रदर्शक हो ।

धन्य हो जाऊ, पल पल निहारूँ 
आपकी छवि चंद  लफ्ज़ो में गायु
आपकी दिव्यता को नमन
साधना और कला से 
योग से योगी बनने का मार्ग दिखलाती हो  

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