Tuesday, June 4, 2013

उड़ान

बड़ी बेसबब सी ज़िन्दगी 
इस ज़िन्दगी में जीने का
कुछ  तो मज़ा  आए ?

कही कुछ पल
एसे  बीते 
गमो के अंधेरों में 
गर्दिश जैसे 

आ रुका वहीँ मैं 
उस  पल 
सोच में डूबा 
आगे कुछ कर 
ज़िन्दगी  यूँ ही न गुज़रे !

मौसम बदले 
कश्ती बदले 
कहीं पे अपनी 
मंजिल बदले 

ढूँढ लिया अब 
खुशियों का आशियाना 
दूर नहीं बस 
नज़दीक हैं राहें !

मैं चला अब 
रोक लो मुझको 
जो मैंने तो अब 
अपनी उड़ान भर  ली हैं !!!!






 

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