मैं आज की नारी हूँ
नहीं है मुझपे कोई कल की साया
बदल चुकी हैं नाज़ुक कमसिन काया
हौंसले बुलंद कमज़ोर नहीं हूँ
मैं कर्मवीर वीरांगना
हाँ अबला नारी मुझे न समझना
अब न जमा पाओगे अधिकार
अपनी दम पे मैं जीती हूँ
होने न दूँगी मेरा शिकार
चाहे कितना कह लो "आफत की बला "
टूटती न मैं बिखरती हूँ
चट्टानों से इरादे हैं मेरे
सर पर कफ़न बांध के निकली हूँ
अरमानों की बली चढ़ाई
जज़्बातों को की रुक्सत
तूफानों से टक्कर लेती
अब नहीं फ़िज़ूल की फ़ुर्सत
बड़ा है जज़्बा, बड़े ईरादे
काबिलियत में भी पक्की हूँ
रोक सके न, टोक सके न
मैं स्वतंत्र स्वाभिमानी हूँ
सीमा की रेखा न समझाना
झूठी संस्कार में न जकरना
कायदे नियम बनाने वाले
दायरे की बात बीत गयी
अब से मैं खुदको सुलझाती
सिमट के सीमित न रह पाई
इस संसार में पाप पुण्य की
ठेकेदारों से अर्ज़ी हैं मेरी
नारी को तिरस्कार न करना
समाज की इज़्ज़त आबरूह के नाम पे
सीता मैया जैसी पावन धरती माँ
ने अपनी गोद में समायी
नारी की सम्मान नहीं तो
प्रकृति का प्रकोप होगी भारी
देवी रूप में जहाँ पूजी जाती
महिषासुर मर्दिनी दुर्गा हूँ
मैं ही काली चांडाली हूँ
हैवानों की संहार करू
भक्ति की मिसाल बनी मीरा बाई
घर की लक्ष्मी कमल लोचन
अन्नपूर्णा माँ कृपालिनी
विद्या दायिनी सरस्वती
गंगा के लहरों से लेके
यमुना तट विहारिणी
नारी की महिमा है न्यारी !
सृष्टि के सृजन से लेके अनंत काल की और !
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