Tuesday, February 22, 2022

परि हो तुम

 

 फूलो सा नाज़ुक हो तुम 

 चंचल शौख़  हसीना 

 खुशनुमा ज़िन्दगी जीती हो 

अपने ख़्वाबो  में उड़ना 

कई अंदाज़े बयां कर देती हो बेखुदी में 

दिल  खोल के रख देती हो 

प्यार का  पैग़ाम  पाके

 


हाँ परि हो तुम, परी हि रहना 

खुद पे इतराती हो 

तुम्हारा क्या कहना 

अपने नाज़ो अदाओं पे

गज़ब ढाती हो 

बेमिसाल लगती हो 

जब तुम गुनगुनाती हो 

हवा का झौंका बनके  झूम जाती हो 

फिर भी कभी कभी घबराके रूठ जाती हो 

प्यारी सी लड़की भूल जाती हो 

तुम्हें है जीना बुलंदियों के शिखर पे 

हर जलती अंगारों पे चलके 

तपके , निखरके 

फ़ौलाद की तरह डटके

आगे बढ़ते जाना है 

नज़ाकत छोड़ न देना 

यूँ कभी मुँह मोड़ न देना 

हँसते गाते गुज़रती है ज़िन्दगी 

बचपन के यादे अनमोल अलबेला!

सपनो की दुनिया से 

उड़ान तुम भरना 

देखो पँख उभर आते है 

यूँही हौंसले अफ़ज़ाई से ! 

 परि हो तुम, परी हि रहना 

खुद पे इतराती हो 

तुम्हारा क्या कहना !


 

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