Saturday, November 25, 2023

एक कतरा उम्मीद से सपने बन लेता हूँ

 

कुछ इस तरह सपने बुन  लेता हूँ

अँधेरे में भी रौशनी ढूंढ लेता हूँ 

 

रौशनी उस उम्मीद की 

दिल के ख़्वाइश से जोड़ लेता हूँ 

कभी कुछ छूठ जाए तो 

 यादों के तस्वीर में कैद कर लेता हूँ 

 

हर शक़्श  को मुकम्मल जहां नहीं मिलता 

कुछ ज़्यादा  नहीं  तो एक कतरा 

 उम्मीद की दुनिया बसा लेता हूँ 

 

अपनी उलझनों को पीछे छोड़ 

पलकों में  ख्वाब सजा लेता हूँ 

 तन्हाईयों के बीच में ख़ुशगवाह रहता हूँ

प्यार के नग़्मे  गाके मेहफ़िल सज़ा देता हूँ

 

कोरे पन्नो में कल्पनाओं के दुनिया बसा लेता हूँ 

रेत के टीलों में से सींप चुन लेता हूँ 

पथरीली करवटो से हरियाली बुन लेता हूँ

पंख नहीं तो  कश्ती बनाके पानी में उड़ लेता हूँ



कुछ इस तरह सपने बुन  लेता हूँ

अँधेरे में भी रौशनी ढूंढ लेता हूँ 


 

 

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