कुछ इस तरह सपने बुन लेता हूँ
अँधेरे में भी रौशनी ढूंढ लेता हूँ
रौशनी उस उम्मीद की
दिल के ख़्वाइश से जोड़ लेता हूँ
कभी कुछ छूठ जाए तो
यादों के तस्वीर में कैद कर लेता हूँ
हर शक़्श को मुकम्मल जहां नहीं मिलता
कुछ ज़्यादा नहीं तो एक कतरा
उम्मीद की दुनिया बसा लेता हूँ
अपनी उलझनों को पीछे छोड़
पलकों में ख्वाब सजा लेता हूँ
तन्हाईयों के बीच में ख़ुशगवाह रहता हूँ
प्यार के नग़्मे गाके मेहफ़िल सज़ा देता हूँ
कोरे पन्नो में कल्पनाओं के दुनिया बसा लेता हूँ
रेत के टीलों में से सींप चुन लेता हूँ
पथरीली करवटो से हरियाली बुन लेता हूँ
पंख नहीं तो कश्ती बनाके पानी में उड़ लेता हूँ
कुछ इस तरह सपने बुन लेता हूँ
अँधेरे में भी रौशनी ढूंढ लेता हूँ
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