Saturday, November 25, 2023

ज्ञान चक्षु


अफ़सानो के पहाड़ जब क़हर लेके आती हैं 

ज़िन्दगी का रौनक धुंदली पर जाती है 

ऐसे नाज़ुक वक़्त में टूटे हुए दिल को 

दुनिया की कोई रीत नहीं जोड़ पाती हैं 

 

दर बदर भटकने पर भी

 जब सवालों के जवाब नहीं मिलते

थक के चूड़ होके आख़री पनाह

तब अपनी अंतरात्मा में जा मिलती 

 

ज्ञान चक्षु से हर जहां में रंगत दिखती

शांत स्वरुप सद्चिदानन्द रोम रोम में घुलती  

हर कली में जैसे फूल छुपा हैं 

प्यार के पंछी हर गली में संग चहकती 


क्यों न मिलके हम एक ऐसा जहा बनाये

जिससे विश्व शांति का अनुपम प्रतीक लेहरायें

 

 

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